डॉन एक
सामाजिक प्राणी होता है । आमतौर पर वह दयावान टाइप का दृष्टिकोण रखता है । आज
जानते ही हैं कि गार्डन की सुन्दरता तभी बनी रहती है जब समय समय पर उसकी कटाई छटाई
होती रहे । हमें आभारी होना चाहिए कि डॉन समाज
व्यवस्था में माली की भूमिका अदा करता है । वह सबको एक दृष्टि से देखता है और अपना
काम जाति धर्म से ऊपर उठ कर करता है । वह हिंदी प्रेमी होता है और छोटा बड़ा कोई भी
हो उसे हिंदी में ही समझाता है । डॉन की हिंदी इतनी अच्छी होती है कि अंग्रेजी
मीडियम वालों को भी जल्दी समझ में आ जाती है ।
डॉन
मौका आने पर धार्मिक व्यक्ति भी हो जाता है । वह धर्म का बड़ा सम्मान करता है ।
बदले में अछूत होने के बावजूद धर्म भी उसका बड़ा सम्मान करता है । डॉन की पूजा से
पुजारी इतने प्रभावित रहते हैं कि उनमें भगवान से ज्यादा भक्तिभाव डॉन के प्रति हो
जाता है । व्यावहारिक ज्ञानशास्त्र में कहा भी गया है – स्वक्षेत्रे पूज्यते सांसद
; सर्वत्र पूज्यते डॉन । अर्थात एक सांसद का सम्मान तो उसके क्षेत्र तक ही सीमित
रहता है किन्तु डॉन का सम्मान सभी जगह होता है । डॉन सर्वव्यापी होता है । कवि
कन्हैयालाल ‘कबूतर’ लिख गए हैं – ‘पाखी-पतंगे, डॉन और उसके पेटी-खोखे ; कोई सरहद
इनको नहीं रोके । ‘कबूतर’ जी को उम्मीद है कि डॉन साहेब किसी दिन कृपालु हो गए तो
कवि सम्मेलनों से लेकर अकादमियों तक कहीं भी फिट करवा सकते हैं ।
डॉन केवल अपने भक्तों को ही दिखाई देता है । या
फिर वह जिनको दर्शन देना चाहता है उनको दीखता है । वह कहाँ है ये सबको पता होता है
। लेकिन उसे हमेशा सत्रह मुल्कों की पुलिस ढूंढती रहती है । सूई वहां नहीं ढूँढना
चाहिए जहाँ गिरी हो, कमबख्त मिल जाती है और काम ख़त्म हो जाता है । पुलिस और डॉन
दोनों जनता के सेवक होते हैं और जैसा भी
अवसर मिलता है सेवा करते रहते हैं । वैसे सच पूछो तो डॉन जनता का सेवक होता है । हम
इसलिए कह रहे हैं क्योकि हम अच्छे से जानते हैं, उसके मोहल्ले में ही रहते हैं । विश्वास
नहीं हो तो पूछ लो किसीसे भी, कोई इंकार करे तो बताना । एक बात और, डॉन मोटिवेशनल
स्पीकर भी हैं । सामने वाले का ह्रदय परिवर्तन कर देना उनके बाएं हाथ का काम है । कोई
लाख ना-ना करता हुआ आये बाकायदा हाँ-हाँ करता हुआ लौटता है । हार्ट की फील्ड में आपने
दो ही स्पेस्लिस्ट के नाम सुने होंगे ; एक आपके शहर वाले डाक्टर और दूसरे अपने डॉन
साहेब ।
पिछले कई
महीनों से डॉन साहेब को संस्कृति की रक्षा का भूत चढ़ा हुआ है । उन्हें पता चला कि
समाज में प्रेम करने वाले बहुत बढ़ गए हैं । डॉन को प्रेमी पसंद नहीं हैं । शुरू
शुरू में तो तमाम वोटर लिस्ट चेक कर डालीं लेकिन कोई संस्कृति नाम वाली नहीं मिली
। तब कुछ जिम्मेदारों ने समझाया कि संस्कृति क्या है और रक्षा के लिए उसके साथ कुछ करना नहीं है । जो
गैर-संस्कृति वाले हैं उनको ठीक करने से संस्कृति की रक्षा का काम हो जाएगा । और
यह काम न केवल शौर्य का है बल्कि सेवा और दिशादर्शन का भी है । काम बड़ा है, लेकिन
बड़ा काम बड़े ही करते हैं ।
सुना है
डॉन को टिकिट देना चाहती हैं पार्टियाँ ।
.... जय हो ।
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